Tuesday, November 19, 2024
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स्कूल कैसे खोले | How to start a School in India in hindi

भारत में स्कूल कैसे खोले स्कूल खोलने की प्रक्रिया और मान्यता के नियम ( How to start your own private play, primary, secondary school in India in hindi)

स्कूल खोलना सिर्फ एक बिज़नेस नहीं है बल्कि यह एक समाज सेवा भी है जिसमे आप बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं और इससे एक सुरक्षित और सभ्य समाज का निर्माण देने में योगदान देते है और इसी कारण से एक संतुष्टि देने वाला बिज़नेस में कहा जाता है लेकिन भारत में इसे शुरू करने के लिए बहुत सारी टेक्नोलॉजी कानूनी कार्रवाइयों का सामना करना होता है

स्कूल खोलना काफी मुश्किल होता है क्योंकि इसमें कई तरह के लीगल आप चेक थे होती हैं जिन्हें पूरा करना बहुत ज़रूरी होता है इसलिए इस के लिए एक प्रयोग प्लानिंग और थोड़े से अनुभव की भी जरूरत होती है लेकिन स्कूल शुरू करके आप समाज सेवा के साथ साथ पैसा भी कमा सकते हैं

स्कूल शुरू करने के लिए आप कंसल्टेंट की भी मदद ले सकते हैं कुछ लोग तो बिना कंसल्टेंट की मदद लिए खुद से ही अपना स्कूल शुरू करते हैं किसी भी स्कूल को सफल बनाने के लिए अगर प्राइमरी या प्ले स्कूल खोलकर शुरू किया जाता है तो यह सबसे आसान रहेगा.

भारत में स्कूल कैसे खोलें ( How to start a School in India in hindi)

आपको बता दें कि हमारे देश में स्कूल खोलने के लिए आपको सही और लीगल स्कूल इन्फॉर्मेशन होना जरूरी है स्कूल के लिए आपको अपना बोर्ड निर्धारित करना होता है कि स्कूल में राज्य बोर्ड हो गया फिर सीबीएसई बोर्ड जिसके अनुसार ही सचित कार्यक्रम को निश्चित किया जाता है स्कूल खोलने के लिए आपको स्कूल के रजिस्ट्रेशन के लिए भी अप्लाई करना होगा और इसके बाद एनओसी और और आवश्यक कार्रवाइयां भी करनी होंगी म्यूनिसिपल प्राधिकरण और शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग भी इस काम में आपकी मदद करते हैं.

अप्रूवल लेने के लिए आपके पास बेसिक स्कूल का स्ट्रक्चर इंटीरियर और एक योग्य स्टाफ होना चाहिए अगर आपने एक बार अप्रूवल ले लिया तो स्कूल खोलना सरल और सुगम हो जाता है इसलिए सलाह दी जाती है कि सेकेंडरी स्कूल शुरू करने के लिए पहले प्राइमरी स्कूल को आगे बढ़ाना उचित रहता है क्योंकि आपकी कई तरह से मदद करता है अगर आप डॉक्यूमेंट्स बनाने के लिए पहले से तैयार होते हैं और आपको थोड़ा अनुभव भी होता है.

जैसे अगर आप स्कूल शुरू करने के लिए आवश्यक गाइडलाइंस को जागरूक होते हैंतो इससे आपका केस वे अप्रूवल मिलने के लिए काफी स्ट्रांग होता है हालांकि इस उसको ऐसे होते हैं जो प्राइमरी एजुकेशन के लिए पांचवी और 10 वीं तक ही होते हैं अप्रूवल लेने के लिए एक बेसिक इन्स्ट्रक्शन एंट्री और ह्यूमन रिसोर्स प्लानिंग होना बहुत ज़रूरी है इन सब में जमीन संबंधित स्कूल से सुविधाएं बिल्डिंग लेआउट और स्टाफ संबंधित सभी जानकारियां होती है हर बोर्ड की अपनी कुछ शर्तें होती है जिसपर स्कूल को खरा उतरना जरूरी होता है.

अगर आप कोई रिसर्च बोर्ड के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो आपको उसकी शर्तों को अच्छे से पढ़ और समझ लेना है अगर आज तक लगे तो इसमें आप वकील की मदद भी ले सकते हैं क्योंकि वो जरूरी है कि बोर्ड आपके पास उपलब्ध सुविधाओं से संतुष्ट हो जाए इसलिए पहले से ही तैयार रहना होगा तो बाद में कम तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

आर्थिक व्यवस्था भी समय पर उपलब्ध होना बहुत जरूरी है आप फाइनैंस इन्स्टिट्यूट बैंक किसी अन्य निजी लेकिन सर्टिफाइड कंपनी से लोन भी करवा सकते हैं और इसके लिए फांसी रिकॉर्ड होना बहुत जरूरी होता है इस शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिले अप्रूवल को आपको अब जरूरत पड़ेगी इसके लिए आपके पास विस्तृत बिज़नेस प्लान के साथ साथ स्ट्रक्चर के ब्लूप्रिंट की भी जरूरत होगी अगर आपके पास का कंस्ट्रक्शन तैयार हैं तो आप इसे प्रपोजल के अनुसार तैयार करवा सकते हैं.

लेकिन अगर आपने पहले से ही एफिलिएशन के लिए अप्लाई कर दिया है तो आप ये रिकॉर्ड को सबमिट कर सकते हैं अगर आप एक स्कूल खोलना चाहते हैं तो स्कूल के लिए अध्यापकों का चयन करना भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होता है प्ले स्कूल से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूल के टीचर्स की योग्यता के मापदंड भी अलग अलग होते हैं और ऐसे में चयन के लिए अनुभव की भी जरूरत होती है इसके लिए सरकार के बनाए गए नियमों का अनुसरण करते हुए कुछ अनुभवी व्यक्तियों की मदद भी ले सकते हैं जिससे आप स्कूल के बेस्ट टीचर्स को चुन सके.

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स्कूल के लिए जगह का निर्धारण (Land for the School)

स्कूल शुरू करने के लिए सबसे पहले स्थित है एक अच्छी जगह खोज ना इसके लिए आपको वह सावधान रहने की जरूरत होगी क्योंकि बच्चों के सुर अच्छा स्कूल की निष्ठा शांति के साथ खेलने के लिए मैदान जैसी सभी जरूरत है होती हैं जिनका होना अनिवार्य है स्कूल के लिए अच्छी और पर्याप्त जमीन के लिए शहर में उसकी लोकेशन और आसपास का माहौल भी अच्छा होना जरूरी होता है.

लेकिन अगर आप सेकेंडरी स्कूल खोलना चाहते हैं और आपने शहर को तय कर लिया है तो अपनी सेकेंडरी स्कूल के लिए मार्केट और छात्रों को भी तैयार करें मतलब आपको एक ऐसा एरिया स्कूल खोलने के लिए चुनना है जो पहले आईटी हब हो वहाँ आईबी, आईसीई, या सीबीएसई खोलना आसान हो जाएगा लेकिन आपको ऐसी लोकेशन को अवॉइड करना है जहाँ वह पहले से ही कोई सेकेंडरी स्कूल हो सी बी एस ई स्कूल के लिए जो जमीन अब ले रहे है.

उसके लिए अलग अलग मानक निर्धारित होता है शहर के अंदर सीबीएसई स्कूल शुरू करने के लिए आपके पास कम से कम 1 एकड़ जमीन होना ज़रूरी है जबकि शहर के बाहर स्कूल शुरू करने के लिए यह लिमिट 1.5 एकड़ है और जमीन भी से एक ही जगह हो और एक ही टुकड़े में होनी चाहिए.

सीबीएसई स्कूल के लिए आपको कम से कम1.5 एकड़ जमीन की जरूरत होगी लेकिन इसके साथ ही आपको अन्य कारक जैसे शहर, वहाँ की आबादी, लोकेशन जैसी बातों को भी ध्यान में रखना है सीबीएससी के नए नियमों के अनुसार मेट्रो में स्कूल शुरू करने के लिए 1600 स्क्वायर मीटर की जगह होनी चाहिए.

प्ले स्कूल कैसे शुरू करे? (How to start a Play School)

हमारे भारतीय संविधान में आर्टिकल 21 ए के तहत 2009 में सरकार द्वारा बनाए गए दी ऐक्ट टू एजुकेशन के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा फ्री और अनिवार्य है लेकिन अभी बहुत से 6 वर्ष तक के बच्चे शिक्षा के मूलभूत अधिकार से वंचित रह जाते हैं ऐसे में प्ले स्कूल खोलने के लिए बने नियमों का पालन करना जरूरी होता है सबसे पहले आपको ये निश्चित करना होगा प्ले स्कूल कौन से प्रकार के होंगे मतलब की आप डे-केयर, फुल टाइम या फिर सिर्फ कुछ घंटों के लिए चलाना है उस प्रकार का प्ले स्कूल को भी चुन सकते हैं.

इसका बजट और इन्वेस्टमेंट इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर और जरूरी विज्ञापनों, जरूरी उपकरणों पर डिपेंड करेगा आपको बता दें कि अभी सरकार कुछ योजनाएं भी शुरू की है जिसमें महिलाओं को खुद का प्री स्कूल बनाने के लिए चाइल्ड केयर सेंटर खोलने के लिए भारतीय महिला बैंक और पंजाब नेशनल बैंक से बीएमबी परवरिश लोन मिल सकता है जो 12% ब्याज की दर पर मिल सकता है और इसे पांच सालों में चुकाना पड़ता है

काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन गाइडलाइन के अनुसार ही आपको टीचर ने स्टाफ को नियुक्त करना होगा एक स्कूल टीचर के लिए सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट होना बहुत ज़रूरी है या फिर इसी के सम्कक्ष प्री स्कूल टीचर एजुकेशन प्रोग्राम के अनुसार कम से कम 1 साल का डिप्लोमा सर्टिफिकेट होना या फिर बीएड होना जरूरी है.

प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए गाइडलाइन  (Guideline for Primary School)

भारत में प्राथमिक शिक्षा की बहुत जरूरत है इसलिए यहाँ पर छोटे शहरों हम गांव से लेकर बड़ी जगह होता तो स्कूल खोलना कोई गलत बात नहीं है अगर आप यहाँ पर प्राइमरी स्कूल खोलना चाहते हैं तो सबसे पहले आपकी स्कूल के लिए एक ट्रस्ट ट्रस्ट या संस्था होनी जरूरी है जिसमें कम से कम तीन सदस्य होने जरूरी हैं.

इसके लिए आपको इंडिया ट्रस्ट एक्ट या सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट में अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा इस सोसायटी में नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन होना ज़रूरी है मतलब किसी भी स्कूल से मिले प्रॉफिट को शिक्षा के लिए उपयोग किया जाए इससे किसी भी सदस्य को निजी फायदा ना हो इसके लिए उन सभी सदस्यों को भी शामिल करने की सलाह दी जाती है जिनके पास से शिक्षा से रिलेटेड अनुभव भी हो.

अगर आप अपना स्कूल शुरू करना चाहते हैं और आपने एक बार ट्रस्ट कर इसके करवा लिया है तो ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आपको एक सिस्टेमैटिक बिज़नेस प्लान की भी जरूरत पड़ेगी क्योंकि उसे भी इसी के साथ शुरू किया जा सकता है इसमें इनफ्रास्ट्रक्चर की डिटेल्स बजट प्लान कैपिटल इन्वेस्टमेंट ह्यूमन रिसोर्सेज ऐड्मिनिस्ट्रेशन प्लान रिक्रूटमेंट और अन्य सुविधाएं भी शामिल होती है एक स्कूल शुरू करने के लिए ली गई जमीन के सभी डॉक्यूमेंट्स होना जरूरी है.

प्राइमरी स्कूल शुरू करने के लिए आप जमीन या बिल्डिंग को लीज पर भी ले सकते हैं या फिर उसे खरीद सकते हैं और उसमें अपना स्कूल शुरू कर सकते हैं आपको बताती हूँ अगर आप अपना प्राइमरी स्कूल शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको खुद की जमीन होना काफी फायदेमंद है आप अपने हिसाब से कुछ भी बना सकते हैं जिसे आप आगे चलकर अपग्रेड भी कर सकते हैं.

सेकेंडरी स्कूल शुरू करने के लिए आपको निम्न बातों की जरूरत होती है ( How to start a Secondary School )

अगर आपके पास प्राइमरी स्कूल है तो आप स्कूल को आगे बढ़ाने के लिए अप्लाई कर सकते हैं और ये आसानी से हो भी जाएंगे और आपको उनकी जिम्मेदारियों का बोझ भी ज्यादा नहीं लगेगा और स्कूल एक 1 साल आगे बढ़ता रहेगा ये तरीका समय जरूर लेता है लेकिन विश्वास नहीं है और कम रिस्क वाला होता आप जैसे ही डॉक्यूमेंटेशन पर काम शुरू करें आप आवश्यक लीगल डॉक्यूमेंट सभी साथ में ही तैयार करवा ले जैसे एनओसी और अन्य अप्रूवल के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स इसके लिए आपको अपने लोकल म्युनिसिपल प्राधिकरण स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग से संपर्क करना होगा

भारत में सीबीएसई स्कूल कैसे शुरू करें (How to start a CBSE School in India)

आग्रा भारत में अपना सीबीएसई स्कूल खोलना चाहते हैं तो सीबीआई से स्कूल खोलने के लिए आपको बोर्ड के मानको पर खरा उतरना जरूरी  हैएसएमएस के लिए बनने वाला बजट अन्य स्कूलों को शुरू करने की तुलना में अलग होता है इसके अलावा मार्केटिंग जमीन सपोर्ट फ़ैसिलिटी के लिए लगने वाला खर्चा भी इसमें जोड़ा जाता है स्कूल चाहे सीबीएसई हो आईसीएससी हो या आईबी बोर्ड हो सबके पास स्टेट बोर्ड का एफिलिएशन होना जरूरी होता है शिक्षा एक राष्ट्र का मुद्दा होता है इसलिए स्कूल के पास राज्य सरकार से मिली सभी परमिशन होना जरूरी है

सीबीएसई स्कूल शुरू करने के लिए बहुत से ब्राण्ड है जिसके अंडर में आप अपने शहर में अपने बजट से स्कूल को शुरू कर सकते हैं जैसे ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल, भारतीय विद्या भवन, एवेरोन, मनिपाल, मेयो कॉलेज, डीपीएस, कंगारू किड्स आदि आपको बता दें कि इन सब के एक प्रॉपर कॉर्पोरेट ऑफिस भी है जहाँ से आप मदद ले सकते हैं इसके अलावा इन की ऑफिसियल वेबसाइट पर भी कॉन्टैक्ट किया जा सकता है इन्हें सिक्योरिटी डिपॉजिट लाइसेंस फीस और प्रति छात्र रेवेन्यू शेयर भी करना देना होता है लेकिन यह फिक्स नहीं है ये सब अलग अलग संस्थाओं के लिए अलग अलग होता है.

अगर आप अपना खुद का स्कूल शुरू करना चाहते हैं तो एक बार बिल्डिंग और स्टाफ तैयार होने के बाद लोकल एजुकेशन ऑफिस में फीस जमा करवानी होती है एक बार प्रशिक्षण करने के बाद भी सोसायटी ट्रस्ट के लिए सर्टिफिकेट भी दे देंगे राज्य बोर्ड के अलावा कोई भी बोर निरीक्षण से पहले अपने ब्राण्ड नाम का उपयोग की परमिशन नहीं देता है आईसीएसई या सीबीएसई बोर्ड के लिए स्कूल के इंस्पेक्शन के 1 साल बाद ही अप्लाई किया जा सकता है.

आईसीएसई में इसकी अवधि 3 साल के लिए होती है इसके लिए बहुत से गाइडलाइन्स भी आप ऑनलाइन माध्यम से देख सकते हैं इसे आठवीं कक्षा से शुरू किया जा सकता है एफिलियेशन हासिल करने के लिए सबसे मुश्किल काम होता है एनओसी हासिल करना जैसे एफिलिएशन प्राप्त करने के लिए होने वाली पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है इसके लिए किसी बीच के व्यक्ति की जरूरत नहीं होती है.

सीबीएसई पहले ही सारे नियम बता देती है जिन्हें आप को ध्यान में रखकर काम करना होता है इसका पूरा मैनुअल सीबीएसई की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं और आपको इसे संबंधी लॉ को भी समझने की जरूरत पड़ेगी सबसे पहले आपको सीबीएसई की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर करना होगा  पी वैसे तो कोई स्कूल खोलने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स के लिए एक लिस्ट बहुत ही लंबी है

लेकिन कुछ महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट्स है जो आपके पास होने जरूरी हैं जैसे बैंक ड्राफ्ट ट्रस्ट/सोसायटी मैनेजिंग कमेटी द्वारा जारी किया गया रजिस्ट्रेशन लेटर, नॉन प्रोपरीएंट्री कैरेक्टर ऑफ सोसाइटी, एनओसी, हेल्थ एंड सेनीटसन सर्टिफिकेट, सेफ ड्रिंकिंग वाटर, बिल्डिंग सेफ्टी सर्टिफिकेट, बैलेंस शीट/फाइनेंसियल स्टेटस सर्टिफाइड बाय सीए फॉर लास्ट थ्री इयर्स, सैलरी पेड थ्रू ईसीएस/चेक इन्फ्रास्ट्रक्चर डिटेल्स फोटोग्राफ, लैब टॉप व्यू रूफ ऑफ स्कूल जिसमें प्लेग्राउंड भी हो और चारों तरफ की बाउंड्री वॉल की फोटो स्टाफ इपीएफ डिडक्शन सर्टिफिकेट होना ज़रूरी होता है.

स्टेट बोर्ड का स्कूल शुरू करना (How to start a State Board School)

स्कूल शुरू करने के रोल्स और बोर्ड सभी राज्यों में अलग अलग होते हैं जो की टेंथ और 12 के एग्जाम करवातें हैं कुछ राज्य सरकारे आठवीं के लिए भी बोर्ड करवाती है आपको बता दें कि स्टेट बोर्ड शुरू करने का फायदा ये होता है की यह राज्य से जुड़ा होता है इसलिए सभी अधिकारी काम आसानी से हो जाता है इसके लिए नया तरीका नियम काफी हद तक वो भी होते हैं जो सीबीएसई बोर्ड के लिए है लेकिन कुछ अलग बातों का भी ध्यान रखना होता है जो की आप अपने राज्य के एजुकेशन की साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं और इसमें जिलाधिकारी की भी मदद ले सकते हैं

स्कूल के लिए मार्केटिंग और प्रमोशन (Marketing and Promotion for School)

अगर आप अपना खुद का स्कूल शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको तरह तरह के मार्केटिंग टेक्नोलॉजी को भी इस्तेमाल करना होगा जिसमें आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से मार्केटिंग कर सकते हैं जिसमें ऑनलाइन और फिजिकल प्रमोशन की जरूरत होगी जैसे स्कूल की वेबसाइट तैयार करना डिजिटल मार्केटिंग करना होर्डिंग्स बनाना आदि वैसे भी किसी भी बिज़नेस को शुरू करने के लिए मार्केटिंग एक जरूरी हिस्सा होता है और स्कूल के लिए तो छात्रों और अभिभावकों को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग जरूरी होती है.

अगर आप अपना खुद का स्कूल शुरू कर रहे हैं तो उसके लिए आपको एक आकर्षक वेबसाइट और होर्डिंग्स तैयार करना होगा और शहर भर में आपको अपने स्कूल का प्रचार करना होगा विग्यापनों में भी दिखाना होगा क्योंकि विग्यापनों से भी आप को अच्छा रिस्पांस मिलेंगे अगर आप अपने स्कूल का प्रेरित कर रहे हैं तो स्कूल के सभी उपलब्धियों और होर्डिंग्स में भी बताएं जब आप अपना कोई बिज़नेस प्लान सबमिट करवातें हैं तो आपको एक तय फीस भी देनी पड़ती है भी आप गवर्नमेंट बैंड के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं.

एक बार अगर आप एडमिशनस के लिए तैयार हों तो आप आपका की आज सकता को भी जरूर समझे और उनके साथ मीटिंग्स करें क्योंकि कुछ अभिभावकों की उम्मीदें ज्यादा होती हैहर सेकेंडरी स्कूल से और यह प्ले स्कूल और प्राइमरी स्कूल से काफी अलग होती है जबकि प्ले स्कूल और प्राइमरी स्कूल के बच्चों के अभिभावकों की उम्मीदें बिलकुल अलग होती है ऐसे में उनके जरूरत के मुताबिक मीटिंग करते रहे और उन्हें समझे.

भारत में स्कूल खोलना काफी फायदेमंद है (Is school business profitable in india)

हमारे भारत देश में स्कूल खोलना काफी आसान है लेकिन इससे प्रॉफिट लेने के लिए आपको काफी इन्वेस्टमेंट और मेहनत भी करनी होती है निजी स्कूल भारत देश में काफी अच्छी प्रगति कर रहे हैं लेकिन इनका आपस में कॉम्पटीशन बढ़ने के कारण छोटे स्तर पर स्कूल खोलने में भी बड़ा रिस्क रहता है इसके लिए आपको अगर कोई अच्छी फ्रैंचाइजी के साथ काम मिल गया तो ये काम आसान हो जाएगा लेकिन इस में कई वर्षों तक फायदा नहीं होता है ट्रस्ट सोसायटी द्वारा शुरू की गई स्कूल एक से मिले मुनाफ़े को बांटने में भी काफी लोग लीगल और टेक्निकल समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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Shailendra Kumarhttps://www.pediabhaskar.com/
Shailendra Maurya, has 5 years of experience in writing Finance Content, Entertainment news, Cricket and more. He has done BA in English. He loves to Play Sports and read books in free time. In case of any complain or feedback, please contact me @ [email protected]
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